प्यार के गहनतम क्षणों में
तुम्हारे
और
मेरे बीच कुछ शब्द होते हैं
जो एक सेतु बनाते है
मुझे तुम तक
और
तुम्हे मुझ तक पहुँचाने केलिए
फिर सेतु विलीन हो जाता है
शब्द निरर्थक हो जाते है
और अगर हमारे बीच
कुछ शेष रहता है तो
तुम्हारा अर्थ ... ... ... केवल मै
मेरा अर्थ ... ... ... केवल तुम
यह रचना जरुरत ब्लाग के मेरे बालमित्र और सहपाठी श्री रमाकांत को समर्पित, जिनके आग्रह और हठ पर एक दूसरा पोस्ट अधूरा छोड़ कर यह श्रृंगार रस से लटपटाया यह पोस्ट प्रकाशित करना पड़ा.
तुम्हारे
और
मेरे बीच कुछ शब्द होते हैं
जो एक सेतु बनाते है
मुझे तुम तक
और
तुम्हे मुझ तक पहुँचाने केलिए
फिर सेतु विलीन हो जाता है
शब्द निरर्थक हो जाते है
और अगर हमारे बीच
कुछ शेष रहता है तो
तुम्हारा अर्थ ... ... ... केवल मै
मेरा अर्थ ... ... ... केवल तुम
यह रचना जरुरत ब्लाग के मेरे बालमित्र और सहपाठी श्री रमाकांत को समर्पित, जिनके आग्रह और हठ पर एक दूसरा पोस्ट अधूरा छोड़ कर यह श्रृंगार रस से लटपटाया यह पोस्ट प्रकाशित करना पड़ा.
मैं आभारी हूँ आपका जिसके कारन आपने मेरी सुनी , ऐसी सुन्दर भाव पूर्ण रचनाओं को प्रकाशित न करना अपने लेखन के प्रति अन्याय होता . चलिए मेरे हाथ ने ही सही आपके खजाने का मुह तो खोला अब जब खोल ही दिया है तो लुटा दीजिये दिल खोलकर . आपसे एक आग्रह नहीं बाल हठ आपने वादा किया था कि नेट चेट के इस युग में आप मुझे प्रेम पत्र लिखेंगे सो मेरे हठ कि पूर्ति कर ही दीजिये यथा शीघ्र ....
ReplyDeleteदुरूह और असाध्य आग्रह/बल हठ
ReplyDeleteरचना तो वाकी सुन्दर है... रमाकांत जी का शुक्रिया कि आपको पोस्ट करने को बोला...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteकल 01/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' तुझको चलना होगा ''
"तुम्हारा अर्थ ......................केवल मै
ReplyDeleteमेरा अर्थ ...........................केवल तुम"
सब कुछ तो कह दिया ....
माना कि प्रेम व्यापक है परन्तु इस परिधि से बाहर तो नही..
"हर लम्हा मेरे चंचल मन के, अरमान बदलते रहते हैं
किस्सा तो वही फरसूदा है, उनवान बदलते रहते हैं
कायम हैं जहां में दो चीजें,इक हुस्न तेरा इक इश्क मेरा
पूजा के मगर ऐ बुत तेरी,सामान बदलते रहते हैं"
बहुत बहुत शुभकामनायें आपको
.
ReplyDelete"...और अगर हमारे बीच
कुछ शेष रहता है तो
तुम्हारा अर्थ ... ... ... केवल मै
मेरा अर्थ ... ... ... केवल तुम"
सुंदर भावाभिव्यक्ति है राजेश जी आपकी लघु कविता में
निःसंदेह !
आभार सहित शुभकामनाएं !
इस यथार्थ को श्रृंगार नहीं कहें ...
ReplyDeleteजीवन के सत्य को बिना लाग लपेट के कहा है आपने ... बहुत खूब लिखा है ...
बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.ब्लॉग जगत में आपकी प्रस्तुति संग्रहणीय है.आभार.
ReplyDeleteअन्ना टीम: वहीं नज़र आएगी
क्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुंदर
यही प्रेम है..
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