पेड़
तालाब का पार
उससे बंधा पानी
किनारे
यहाँ वहाँ
घाट
वही है
शुरू से
हर बार सिर्फ
बदल जाती है
लाश
कुछ कंधे
सब कुछ ऐसा ही
चलता है
एक बंधे बंधाए
क्रम के साथ
.........................
क्रमानुसार
लोग आयेंगे
मेरे भी पीछे
पांत पांत
सिर्फ वापसी पर
नहीं हो पायेगा
उनसे मेरा साथ