आज सुबह जब आंख खुली
रात की आलस धुली
मैंने पाया
मैं चिड़िया बन गया हूँ
तोता, मैना, कलहंस
या बुलबुल
या उकाब
नहीं जनाब
महज एक कठफोड़वा
सोचा घूम आऊं ब्रश करके
लेकिन वहां तो थे ही नहीं दांत
ठकठकाने लगा एक शाख
चोंच साफ हो न हो छेद कर पाने पर
जम तो जाएगी धाक
किस्मत की बात है
मिल जाएँ कीड़े और इल्लियाँ
छाल की दरार में मकड़ियाँ
नाश्ता तो जरुरी है
छूट गए हाथ और दांत
पर डैनों और पंजों के साथ भी
यही दुःख है
साथ तो है ही पेट
और पेट के साथ
भूख है