मन जब रात भर
जागता है
दिल तुम्हारे पास-पास
भागता है
पहुंचते-पहुंचते तुम्हारे
ठांव
हर घाव हरा हो गया
अरे
यह तो
सवेरा
हो
गया.
11.06.1991
जूते का जूता है
मोजे का मोजा
एक अरसे बाद
तोड़ा
गमबूटों ने
रोजा.
12.06.1991
जागता है
दिल तुम्हारे पास-पास
भागता है
पहुंचते-पहुंचते तुम्हारे
ठांव
हर घाव हरा हो गया
अरे
यह तो
सवेरा
हो
गया.
11.06.1991
जूते का जूता है
मोजे का मोजा
एक अरसे बाद
तोड़ा
गमबूटों ने
रोजा.
12.06.1991
खूबसूरत यादों को कविता के रूप में बांटने के लिए धन्यवाद भाई साहब.
ReplyDeleteयह तो
ReplyDeleteसवेरा
हो गया.
यादों को संभल कर रखना वक्त पर काम आयेंगी , सुंदर रचना , बधाई
मन जब रात भर
ReplyDeleteजागता है
दिल तुम्हारे पास-पास
भागता है
पहुंचते-पहुंचते तुम्हारे
ठांव
हर घाव हरा हो गया
अरे
यह तो
सवेरा
हो गया.
Behad sundar panktiyaan!Wah!
सुन्दर भावों से लबरेज़.
ReplyDeleteखूबसूरत यादों को कविता के रूप में बांटने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteसोनों क्षणिकाएं बहुत अच्छी ...
ReplyDeleteइस विधा में बहुत सार्थक है आपकी लेखनी |