Wednesday, March 23, 2011

मनकदमी

मन जब रात भर
जागता है
दिल तुम्‍हारे पास-पास
भागता है
पहुंचते-पहुंचते तुम्‍हारे
ठांव
हर घाव हरा हो गया
अरे
यह तो
सवेरा
हो
गया.
11.06.1991


जूते का जूता है
मोजे का मोजा
एक अरसे बाद
तोड़ा
गमबूटों ने
रोजा.
12.06.1991

6 comments:

  1. खूबसूरत यादों को कविता के रूप में बांटने के लिए धन्‍यवाद भाई साहब.

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  2. यह तो
    सवेरा
    हो गया.
    यादों को संभल कर रखना वक्त पर काम आयेंगी , सुंदर रचना , बधाई

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  3. मन जब रात भर
    जागता है
    दिल तुम्‍हारे पास-पास
    भागता है
    पहुंचते-पहुंचते तुम्‍हारे
    ठांव
    हर घाव हरा हो गया
    अरे
    यह तो
    सवेरा
    हो गया.
    Behad sundar panktiyaan!Wah!

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  4. सुन्दर भावों से लबरेज़.

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  5. खूबसूरत यादों को कविता के रूप में बांटने के लिए धन्‍यवाद

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  6. सोनों क्षणिकाएं बहुत अच्छी ...
    इस विधा में बहुत सार्थक है आपकी लेखनी |

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