Wednesday, February 23, 2011

बच्चे

पहले मैं सपने बुनता हूं
फिर उन्हें गिनता हूं
ज्यादा लगने पर
उधेड़ता हूं
एक गोला सा बनाता हूं
और
इस तरह आजकल
बच्चों को मनाता हूं
रूठने पर उनके
दे कर नई गेंद.
19.06.1990

जूता, मोजा, छाता
बरसाती
रिमझिम-रिमझिम
बारिश आती
कापी, पुस्तक, कलम
औ' निब
नए साल पर दूनी फीस
बच्चों पर बस्ते हैं बीस
मम्मी-डैडी निकालें खीस
जुलाई की पहली तारीख
जा बेटा अंगरेजी सीख.
04.07.1991


14 comments:

  1. पहले मैं सपने बुनता हूं
    फिर उन्हें गिनता हूं
    ज्यादा लगने पर
    उधेड़ता हूं
    एक गोला सा बनाता हूं
    और
    इस तरह आजकल
    बच्चों को मनाता हूं
    waah

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  2. इस तरह आजकल
    बच्चों को मनाता हूं ...।


    बहुत ही सुन्‍दर ।

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  3. शानदार है, सपने बनाना, फिर उन्हे उधेड्कर पुनः गेंद बना देना।

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  4. दोनों क्षणिकाएं बहुत सुंदर .....
    इस तरह की ९,१० क्षणिकाएं भेजिएगा ....
    सरस्वती सुमन पत्रिका के लिए जिसकी एक अंक की संपादिका मैं रहूंगी ..
    क्षणिकाओं के साथ अपना संक्षिप्त परिचय और चित्र भी भेजें ....
    यहाँ .....

    harkiratheer@yahoo.in

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  5. सुन्दर क्षणिकाएं.

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  6. सपनों का गोला...
    एकदम मौलिक विचार।

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  7. दोनों क्षणिकाएं बहुत सुंदर ....

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  8. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

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  9. सुन्दर क्षणिकाएं| धन्यवाद|

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  10. दोनों क्षणिकाएं बहुत सुंदर ....

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