आज सुबह जब आंख खुली
रात की आलस धुली
मैंने पाया
मैं चिड़िया बन गया हूँ
तोता, मैना, कलहंस
या बुलबुल
या उकाब
नहीं जनाब
महज एक कठफोड़वा
सोचा घूम आऊं ब्रश करके
लेकिन वहां तो थे ही नहीं दांत
ठकठकाने लगा एक शाख
चोंच साफ हो न हो छेद कर पाने पर
जम तो जाएगी धाक
किस्मत की बात है
मिल जाएँ कीड़े और इल्लियाँ
छाल की दरार में मकड़ियाँ
नाश्ता तो जरुरी है
छूट गए हाथ और दांत
पर डैनों और पंजों के साथ भी
यही दुःख है
साथ तो है ही पेट
और पेट के साथ
भूख है
यही दुःख है
ReplyDeleteसाथ तो है ही पेट
और पेट के साथ
भूख है
भाव विह्वल करते शब्द ...
इतना मुश्किल न था
ReplyDeleteजुटाना दाने को
रहा मोहताज पर
आदमी बन पंछी भी!
छूट गए हाथ और दांत
ReplyDeleteपर डैनों और पंजों के साथ भी
यही दुःख है
साथ तो है ही पेट
और पेट के साथ
भूख है
परिंदों को आत्मसात करना आप जैसे भावुक मानुष के ही बस की बात है .उम्दा अभिव्यक्ति जहाँ जीवन की झलक हर पल दिनचर्या में, एक अनुरोध आप दिया हुआ वादा नहीं भूलते क्या कारन है आपका प्रेम पत्र मुझे नहीं मिल पाया या मैं इस योग्य नहीं
आज 28- 09 12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete.... आज की वार्ता में ... व्यस्तता नहीं , अर्थपूर्ण व्यस्तता आवश्यक है .... ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
लगा ही रहता है सबके साथ मुंह-पेट.
ReplyDeleteक्षुधाबन्धन कैसे टूटे ...
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