तुम्हारा कहना
फिर आना
मेरा बन गया
रोजनामा
मैंने तो बहुत
बाद में
जाना
लेकिन क्या जरूरी था
तुम्हारा
मुझे इस तरह
सूद पर सूद का
हिसाब समझाना.
10.01.1991
आंखों को मींचे
सपनों को भींचे
पत्थर को सींचे
क्या कुछ खिला है
पांवों पर चलते
हाथों को मलते
धीरे-धीरे गलते
मुझे क्या मिला है
फिर भी
आपको मुझसे
क्या गिला है.
29.06.1991
फिर आना
मेरा बन गया
रोजनामा
मैंने तो बहुत
बाद में
जाना
लेकिन क्या जरूरी था
तुम्हारा
मुझे इस तरह
सूद पर सूद का
हिसाब समझाना.
10.01.1991
आंखों को मींचे
सपनों को भींचे
पत्थर को सींचे
क्या कुछ खिला है
पांवों पर चलते
हाथों को मलते
धीरे-धीरे गलते
मुझे क्या मिला है
फिर भी
आपको मुझसे
क्या गिला है.
29.06.1991